A look here and there........
and the thoughts that dwell within me......
Sunday, September 5, 2010
एक राह..
एक राह पकड़ी है अपनी चाह की....दुनियाँ से लड़ कर झगड कर अपनी चाह की|
रोज गिरता हूँ, संभलता हूँ, संभल के फिर गिरता हूँ .... पर रोज ख़ुशी से सोता हूँ|
एक राह पकड़ी है अपनी चाह की....
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